Nepal New PM: नेपाल में राजनीतिक उठापटक के बीच रविवार को उलटफेर हो गया। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। जबकि इससे पहले यह हलचल थी कि नेपाली कांग्रेस के नेता और मौजूदा पीएम शेर बहादुर देउबा ही दोबारा पीएम बन सकते हैं। प्रचंड ने सीपीएन-यूएमएल, अन्य छोटे दलों समेत छह पार्टियों के समर्थन से सरकार का दावा पेश किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने उन्हें पीएम नियुक्त किया है। प्रचंड कल प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।

जानकारी के मुताबिक एक समझौता पत्र तैयार किया जा रहा है, जो राष्ट्रपति को सौंपा गया है। रोटेशन के आधार पर प्रचंड और ओली को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बनी है। ढाई साल के लिए प्रचंड पीएम होंगे और उसके बाद ढाई साल के लिए ओली प्रधानमंत्री बनेंगे। ओली अपनी मांग के अनुसार प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हुए। नए गठबंधन को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सांसदों का समर्थन हासिल हुआ है।

प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय पहुंचे और सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रस्ताव में 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों के समर्थन का दावा किया गया है। जिसमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य शामिल हैं। सरकार बनाने का दावा करने वाले पत्र पर 165 सांसदों के हस्ताक्षर थे।

68-वर्षीय ‘प्रचंड’ को तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। ग्यारह दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में प्रचंड का जन्म हुआ था। साल 1996 से 2006 तक उन्होंने सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था। इससे पहले सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने कहा, ‘चूंकि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नेपाली कांग्रेस राष्ट्रपति की ओर से दी गई समय सीमा के भीतर संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल रही, इसलिए अब सीपीएन-यूएमएल ने 165 सांसदों के समर्थन से प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल की है।’ इससे पहले, आज सुबह प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-एमसी के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद प्रचंड पांच दलों के गठबंधन से बाहर आ गये थे, क्योंकि देउबा ने पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज कर दी थी।

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